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सतीश चन्द्र कॉलेज : परिचय

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सतीश चन्द्र कॉलेज की स्थापना वर्ष 1947 में हुई। इसकी स्थापना का श्रेय महंत सतीश चन्द्र गिरि को जाता है, जो बंगाल प्रांत के हुगली ज़िले में स्थित तारकेश्वर मठ के महंत थे।उल्लेखनीय है कि बलिया के द्वाबा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दूबे छपरा गाँव के मूल निवासी महंत सतीश चन्द्र गिरि के प्रयासों से वर्ष 1915 में ‘एंग्लो वैदिक पाठशाला’ की स्थापना हुई। महंत सतीश चन्द्र ने ही इस संस्था के निर्माण और इसकी प्रगति के लिए एक लाख रुपए का दान दिया। उसी दानराशि से पाठशाला के भवन-निर्माण का कार्य शुरू हुआ, जिसका शिलान्यास युक्त प्रांत (यू.पी.) के तत्कालीन लेफ़्टिनेंट-गवर्नर सर जेम्स मेस्टन (1865-1943) के हाथों सम्पन्न हुआ, जो वर्ष 1912से 1918 तक युक्त प्रांत के लेफ़्टिनेंट-गवर्नर रहे थे।

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पाठशाला का भवन निर्माण सम्बन्धी कार्य महंत सतीश चन्द्र गिरि द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि पंडित महावीर मिश्र की कुशल देखरेख में पूरा हुआ। स्थापना के आठ वर्षों के बाद वर्ष 1923 में इस पाठशाला को पूर्व माध्यमिक कक्षाओं की मान्यता मिली। महंत सतीश चन्द्र गिरि की माता श्रीमती लक्ष्मीराज देवी के नाम पर इस संस्था का नाम ‘लक्ष्मीराज देवी मेस्टन एंग्लो वैदिक स्कूल’ रखा गया। वर्ष 1929 में छात्रों के रहने के लिए ‘एल.डी. मेस्टन हाईस्कूल हॉस्टल’ नाम से छात्रावास भी खोला गया। वर्ष 1942 में इस संस्था को इंटरमीडिएट की मान्यता मिली और इसके साथ ही यह संस्था ‘लक्ष्मीराज देवी मेस्टन इण्टर कॉलेज’ में परिणत हो गई। बलिया के ज़िलाधिकारी इस कॉलेज की प्रबंध समिति के पदेन अध्यक्ष होते थे।उक्त प्रबंध समिति (‘एल.डी. मेस्टन स्कूल सोसाइटी’) में कुल 21 सदस्य होते थे। जिनमें छह आजीवन सदस्य, तेरह निर्वाचित सदस्य और ज़िलाधिकारी व प्राचार्य पदेन सदस्य होते थे। 

वर्ष 1935 में पंडित महावीर मिश्र की स्मृति में उनके पुत्र पंडित काशीनाथ मिश्र (ऑनरेरी मुंसिफ़ और असिस्टेंट कलेक्टर) द्वारा स्कूल के ‘महावीर ब्लॉक’ का निर्माण कार्य आरम्भ किया गया। जिसका शिलान्यास 6 अक्टूबर, 1935 को बलिया के कलेक्टर व ज़िला मजिस्ट्रेट राय बहादुर पंडित शिव करण नाथ मिश्र द्वारा किया गया। ‘महावीर ब्लॉक’ का निर्माण कार्य पाँच वर्षों में पूरा हुआ और 5 मई, 1940 को नवनिर्मित ‘महावीर ब्लॉक’ का उद्घाटन बलिया के तत्कालीन कलेक्टर व ज़िला मजिस्ट्रेट जे. निगम द्वारा किया गया।महाविद्यालय के रसायन व भौतिकी विभाग वर्तमान में इसी ब्लॉक में स्थित हैं। 

वर्ष 1947 में, जिस वर्ष भारत को स्वतंत्रता मिली, उसी वर्ष आगरा विश्वविद्यालय से सतीश चन्द्र कॉलेज के रूप में इस संस्था को बी.ए. पाठ्यक्रम की मान्यता मिली। संस्कृत के प्रकांड विद्वान आचार्य सीताराम चतुर्वेदी (1907-2005) सतीश चन्द्र कॉलेज के पहले प्राचार्य बने। उन्हीं के द्वारा महाविद्यालय में छात्रसंघ, छात्र संसद और विभिन्न परिषदों का गठन किया गया। वर्ष 1957 में उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम के अंतर्गत गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद सतीश चन्द्र कॉलेज गोरखपुर विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हो गया। वर्ष 1958 में महाविद्यालय को बी.एस-सी. (गणित एवं जीव विज्ञान) की मान्यता मिली। इसके दो वर्ष बाद महाविद्यालय को बी.एड. पाठ्यक्रम की मान्यता मिली। इसी क्रम में, वर्ष 1970 में महाविद्यालय को हिंदी, राजनीतिशास्त्र एवं गणित विषयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम की मान्यता मिली। उसी वर्ष इंटर की कक्षाओं को अलग करके लक्ष्मीराज देवी इंटर कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया गया। इसके एक वर्ष बाद 1971 में समाजशास्त्र एवं रसायन विज्ञान विषयों में भी स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम की मान्यता प्राप्त हुई। वर्ष 1988 में महाविद्यालय में ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय’ का अध्ययन केंद्र स्थापित हुआ। गोरखपुर विश्वविद्यालय के बाद महाविद्यालय क्रमशः पूर्वांचल विश्वविद्यालय एवं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से भी सम्बद्ध रहा। दिसम्बर 2016 में जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया की स्थापना के साथ ही महाविद्यालय जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हो चुका है।